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हिमाचल के लाखों किसानों के यहां पैदा होने वाली सब्जियों फलों को बाजार की कमी से जूझने की लंबे दौर से चली आ रही समस्या का समाधान बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म से खोजने के गंभीर प्रयास शुरू हो गए हैं। इसी कड़ी में हिमाचल में फसल विविधिकरण को प्रोत्साहन देने के लिए चलाई जा रही हमीरपुर स्थित परियोजना के जरिये ही किसानों को डिजिटल प्लेटफार्म पर बड़ा और निश्चित बाजार उपलब्ध कराए जाने संबंधी कार्ययोजना कुछ महीने पहले तैयार की गई। इसे जापान इंटरनेशनल को-आपरेशन एजेंसी यानि जाइका ने अब मंजूर कर लिया है। जाइका ने प्रारंभिक तौर पर एक वर्ष के लिए यह पायलट टेस्टिंग आधार पर योजना को धरातल पर उतारने को हरी झंडी दे दी है। आज विधिवत इसे जाइका ने कृषि निदेशक कुमुद सिंह, एचपीसीडीपी(हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना) के निदेशक डॉ सुनील चौहान,  जापान के टोक्यो स्थित जाइका एक्सपर्ट्स आदि ने वर्चुअल बैठक में राज्य में लांच भी कर दिया। इस डिजिटल एग्री मार्केटिंग प्लेटफार्म को धरातल पर उतारने का जिम्मा ‘देहात’ ‘DEHAT’ नामक एक निजी कंपनी को दिया गया है। एक साल में इसकी सफलता के आधार पर एचपीसीडीपी   से सम्बंधित और राज्य के आम किसानों के लिए इस डिजिटल ढांचे को विकसित करने की दिशा में राज्य सरकार कदम बढ़ाएगी।
परियोजना में हिमाचल सरकार के मीडिया सलाहकार राजेश्वर ठाकुर ने बताया कि वर्तमान में राज्य के लाखों किसानों के पास अपने यहां पैदा होने  वाली तमाम किस्म की सब्जियों जैसे, टमाटर, ब्रोकली, गोभी, मटर, भिंडी, बैंगन, शिमला मिर्च और फलों में सेब, अमरूद अनार आदि को उचित बाजार नहीं मिल पाता है। राज्य सरकार के जिलों में स्थापित एपीएमसी मंडियों के बाजार में भी किसानों को एक निश्चित आय और क्रेता मिलने की सम्भावनाएं मजबूत नहीं रहती हैं। इससे किसान की चिंता अपने उत्पादों को लेकर इस अनिश्चितता  के अलावा मध्यस्थों की बेतहाशा कमीशनखोरी के खेल के कारण भी हर सीजन में बढ़ती जाती है। कई बार फसल की तैयारी के वक़्त और बाजार में खरीदारी के समय में तालमेल नहीं बैठ पाने के कारण किसान घाटे का सौदा करने को मजबूर हो जाता है। हिमाचल में फसल विविधिकरण परियोजना भी अपने यहां लगभग 25 हजार किसानों की ओर से भविष्य में पैदा होने वाले उत्पादों को बाजार के समाधान के लिए भी इसी दिशा में काम करने को आगे बढ़ना चाह रही है। इसी सिलसिले में जाइका इंडिया को एचपीसीडीपी के निदेशक डॉ सुनील चौहान ने राज्य के किसानों को डिजिटल मार्किट प्लेटफॉर्म विकसित करने के लिए आग्रह पत्र भेजा था। पूरे देश भर से जाइका ने किसानों के हितार्थ इसी तरह की योजनाएं बनाकर विभिन्न सरकारी मंचों से उन्हें जाइका को भेजने के लिए कहा था। हिमाचल से मार्केटिंग बोर्ड ने भी ऐसे प्रस्ताव भेजे थे लेकिन    एचपीसीडीपी के ही इस प्रस्ताव को जाइका इंडिया ने स्वीकृति दी है।
इसके लिए जाइका ने कुल डेढ़ करोड़ रुपए मंजूर किये हैं जिसके तहत dehaat नामक निजी कंपनी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पहले पायलट टेस्टिंग के आधार पर सोलन और मंडी जिलों के किसानों के लिए नेटवर्क तैयार करेगी। इसमें अमजेन जैसे डिजिटल मार्केटिंग प्लेटफॉर्म की तरह ही ‘देहात’ दोनों जिलों के सब्जी व फल उत्पादक किसानों को प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर करेगी। साथ में देश भर क्रेताओं को भी यहीं पर पंजीकृत किया जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि इन दोनों जिलों के दो हजार किसानों के यहां पैदा होने वाली सब्जियों , फलों को इसी डिजिटल प्लेटफॉर्म से क्रेताओं तक लिंक किया जाएगा। कंपनी किसानों की पैदावार को इसकी बिक्री का पूरा इंतजाम ऑनलाइन करेगी। जैसे निजी मार्केटिंग प्लेटफॉर्म पर आप प्रोडक्ट्स सर्च करके हासिल कर लेते हैं वैसे ही यह कंपनी का प्लेटफॉर्म काम करेगा। एक साल के लिए यह प्रयोग के तौर पर किया जा रहा है। इसके बाद इसकी सफलता के बाद इसे पूरे राज्य के किसानों के लिए न केवल एचपीसीडीपी में लागू किया जाएगा बल्कि आम किसानों के उत्पाद भी इसी तर्ज पर बिकेंगे और बाजार का लंबे समय से चला आ रहा संकट समाप्त हो सकेगा।
राजेश्वर ठाकुर ने बताया कि इस मंच से कंपनी किसानों की सब्जियों को एकमुश्त खरीदार तक पहुंचाएगी। इस दौरान कंपनी की ओर से ही किसानों के  क्लस्टरों से सब्जियां थोक में उठाकर यातायात सुविधा प्रदान करके सम्बंधित बाजार तक सीधे मुहैया करवाई जाएगी। इससे एक तो किसान को बाजार भाव की अनिश्चितता से बचने में मदद मिलेगी और अपने प्रोडक्ट्स बेचने के लिए बाजार खोजने और उचित मूल्य मिलने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा। किसान बाजार को लेकर बेफिक्री में रहेगा। इससे किसानों को सब्जियों के उत्पादन से आर्थिक स्थायित्व मिल जाने से उनका विविध खेती की ओर आकर्षण बढ़ेगा जो कि कुल मिलाकर एचपीसीडीपी का लक्ष्य है बल्कि राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी यही चाहते हैं कि किसान को किसी तरह से एक निश्चित और न्यूनतम आय मिल पाए।
एचपीसीडीपी के निदेशक डॉ सुनील चौहान ने बताया कि इस मंच पर क्रेता और विक्रेता को पूरा विश्वसनीय  माहौल मिलेगा। और बाजार की अनिश्चितता दूर होगी। किसान अपने उत्पादों को मध्यस्थों के जाल से भी बचा पायेगा।
‘Dehaat’ एक ऐसी कंपनी है जो किसानों के लिए देश में एग्री डिजिटल मार्केटिंग प्लेटफॉर्म तैयार करती है। हिमाचल के इन दोनों जिलों के किसानों को अगले एक साल में मिलने वाले रिस्पांस के आधार पर इसे राज्य सरकार पूरे प्रदेश में लागू करेगी। ‘देहात’ न केवल किसानों को उत्पादों को बाजार देने के लिए यातायात सुविधा विकसित करेगी बल्कि बीज, कीटनाशक से लेकर दूसरे तमाम उपकरणों को भी किसान तक डिजिटल मार्केटिंग नेटवर्क से पहुंचाने की दिशा में भी काम करेगी।
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